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Showing posts from June, 2023

Thoughts on Freedom

हम समाज और उसके नियमों और तौर तरीकों से इतना ज्यादा प्रभावित है इस तरह से हमारे भीतर समाज रम गया है कि हम उस को चाह कर भी अपने से अलग नही कर सकते हैं। हम अपना जीवन इस Society और इस Institutionalisation के “न होने की अवस्था में” सोच भी नहीं सकते हैं। इतना डर ​​है हमारे अंदर — इतना संदेह है हमारे अंदर। आप यह देखिये — आप कुछ अनूठा करना चाहते हैं पर वह कार्य आप कर नहीं सकते हैं क्योंकि डर है कि क्या होगा अगर मैं Society के विपरीत जाता हूं तो। मैं ना तो रस्मों की बात करता हूं — ना मैं परंपराओं की बात करता हूं — और ना ही मैं संस्कृतियों की बात करता हूं। हालाँकि हम इन सब से बहुत ज्यादा घिरे हुए हैं। मैं बात करता हूं attachment कि। हम अभी अपने “वर्तमान-जीने-के तरीके” से इतना ज्यादा परिचित या अभ्यस्थ हो चुके हैं कि इस attachment से दूर जाना बहुत कठिन हो गया है। अगर हम बात करें freedom की complete Freedom की — आप जो चाहें अपने जीवन के साथ कर सकें यह ध्यान में रखते हुये कि कोई अन्य व्यक्ति आपके द्वारा किए गए कुछ actions से कष्ट में न पहुंचे। ध्यान से सोचिये, क्या वह कार्य आप कर सकते हैं? हाँ, यह ...